
आजकल की Zoom मीटिंग्स वाली ज़िंदगी और “Order Kar Lo” वाली डाइट ने एक नई बीमारी को घर बुला लिया है – नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर डिज़ीज़ (NAFLD)।
इसमें लिवर में वसा जमती है, लेकिन बिना शराब पिए! जी हां, आपके पिज़्ज़ा, सोडा और आलसी दिनचर्या ही इसे जन्म देते हैं।
सुपरस्टार हर्ब जिसे अब विदेशी भी कहने लगे हैं – “Gimme Some Ashwagandha!”
नॉन-अल्कोहोलिक फैटी लिवर क्यों होता है?
1. जंक फूड और मीठे पेय
सोडा और बर्गर का मेल – लिवर के लिए फेल!
2. मोटापा और पेट की चर्बी
पेट की चर्बी सीधी लिवर पर असर करती है।
3. बैठे रहने वाली आदत
वर्क फ्रॉम होम का असली साइड इफेक्ट – शरीर का no movement zone बन जाना।
4. डायबिटीज़ और इंसुलिन रेजिस्टेंस
ब्लड शुगर बढ़ने से फैट का मेटाबॉलिज्म बिगड़ता है।
5. खराब कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड
खून में फैट बढ़ा = लिवर में स्टोरेज शुरू।
6. अनुवांशिक कारण
अगर मम्मी-पापा को है, तो बेटा-बेटी को भी हो सकता है। सावधानी ज़रूरी।
कैसे करें बचाव?
संतुलित आहार:
हफ्ते में एक दिन चीट मील चलेगा, हर दिन नहीं!
नियमित व्यायाम:
रोज़ाना कम से कम 30 मिनट – तेज़ चलना, योग या डांस
मीठा और तला-भुना सीमित करें
वजन कंट्रोल रखें:
तोंद हटी तो बीमारी भी घटी।
ब्लड शुगर व कोलेस्ट्रॉल की जांच कराते रहें
लिवर फंक्शन टेस्ट करवाना न भूलें
Non Alcoholic Fatty Liver कोई आम बीमारी नहीं है – यह चुपचाप लिवर को कमजोर करती है। शराब से दूर रहना ज़रूरी है, लेकिन यही काफी नहीं! अगर समय रहते खानपान और आदतें नहीं सुधारीं, तो लिवर “साइलेंट मोड” से “डेंजर जोन” में चला जाएगा।
समय पर चेतना ही सबसे बड़ा इलाज है।
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